गायिका वाचा ठक्कर के साथ एक मुलाकात वीर बाल दिवस के दिन।
‘वीर बाल दिवस’ के अवसर पर जब पूरे भारत में बच्चों की शहादत और बलिदान की बात हो रही है, विभिन्न बाल कलाकार इस अवसर पर बाल दिवस का प्रतिनिधित्व अपने-अपने क्षेत्र में अलग-अलग तरीके से कर रहे हैं, आज मिलते हैं एक बाल कलाकार से जीसने अपने संगीत से दुनिया भर में कच्छ का नाम रोशन किया है हम बात कर रहे हैं कच्छ की दस वर्षीय मिस वाचा ठक्कर की। क्रुप म्यूजिक से लिए गए इस एक्सक्लूसिव आर्टिस्ट इंटरव्यू में आइए जानते हैं वाचा से की गयी बातचीत, उनके विचार और उनकी उपलब्धियों के बारे में…
मिस वाचा, सबसे पहले अपने बारे में थोड़ा बताएं।
मेरा नाम वाचा ठक्कर है, मैं दस साल की हूँ। पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ मुझे गाना और अभिनय करना बहुत पसंद है। अब तक मेरे 50 से भी ज्यादा गाने लगभग 200 म्यूजिक स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर लॉन्च हो चुके हैं और मैंने लगभग 15 म्यूजिक वीडियो में अभिनय भी किया है। मैं गिव वाचा फाउंडेशन की ब्रांड एंबेसडर हूं।
बतौर सिंगर आपके करियर की शुरुआत कैसे हुई?
मैंने बचपन से अपने पिता को गाते देखा है। मुझे संगीत का शौक पहले से ही था क्योंकि वह फिल्मों में गीत-संगीत देते थे। जब मैंने उन्हें संगीत में रुचि दिखाई तो उन्होंने मुझे क्रुप एकेडमी में दाखिला दिला दिया और मेरी ट्रेनिंग शुरू हो गई। जैसे-जैसे मैं गायन में बेहतर होती गई, धीरे-धीरे उन्होंने मुझे अपने गीतों में छोटी-छोटी भूमिकाएँ देनी शुरू कर दीं। मुझे अपने जीवन का पहला और सबसे बड़ा अवसर ‘सूर गुजरात के’ के पाँच फाइनलिस्ट के साथ गाने का मौका मिला। जिसमें मैंने उनके साथ ‘जन गन मैन’ गाने की एक लाइन गाई थी। जिसे लोगों का काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला था। कुछ ही देर में इस गाने को लाखों व्यूज मिल गए थे। बाद में क्रुप म्यूजिक ने मुझे एक कलाकार के रूप में बढ़ावा दिया। फिर धीरे-धीरे दूसरे गीतों में भी कुछ पंक्तियां गाने लगी। ऐसे हुई मेरे करियर की शुरुआत ।
गीतकार और संगीतकार पिता डॉ. कृपेश ठक्कर से ट्रेनिंग लेने का अनुभव कैसा रहा?
पापा से ट्रेनिंग लेनी थी, मेरे लिए ये आसान था क्योंकि पापा जब चाहे मुझे सिखा सकते थे लेकिन एक ट्रेनर के तौर पर उन्होंने कभी रिश्तों को बीच में नहीं आने दिया। मेरी ट्रेनिंग हमेशा कठोर रहा है। वांछित परिणाम प्राप्त होने तक प्रशिक्षण आगे नहीं बढ़ता है। सिंगिंग में भी पापा परफेक्ट शॉट आने तक रीटेक करते थे।
आज आप ‘द यंगेस्ट सिंगर (फीमेल)’ हैं, तो आप इस मुकाम तक कैसे पहुंचीं?
दो साल के ट्रेनिंग के बाद जब पापा एक संगीतकार के रूप में मेरी प्रतिभा से संतुष्ट हो गए तो उन्होंने मुझे पूरे गाने देने शुरू कर दिए और फिर कंपनी ने विशेष रूप से मेरे लिए गाने बनाना शुरू कर दिया। आगे चलकर, मेरे 50 से अधिक मूल गाने गुजरात की एकमात्र रिकॉर्ड लेबल कंपनी ‘क्रुप म्यूजिक’ के माध्यम से लोंच किए गए। इसे 200 से अधिक म्यूजिक स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म जैसे सावन, हंगामा, स्पॉटिफाई आदि पर रिलीज किया गया और हिट हो गए। और हां, लोग मुझे ‘सबसे यंगेस्ट सिंगर’ कहते हैं क्योंकि उस पर मेरे गाने ट्रेंड कर रहे है। इस उपलब्धि को पाकर मुझे ‘सूर गुजरात के’, ‘सूर हिंदुस्तान के’ और ‘ के. एम. टैलेंट हंट’ शो के बान्ड अम्बेसेडर के रूप में सम्मानित किया गया।
एक अभिनेत्री के रूप में आपने कब और कैसे शुरुआत की?
हमने देखा कि आजकल लोग अपने म्यूजिक वीडियो में खुद ही एक्टिंग कर रहे हैं, इसलिए शुरू में मैंने क्रुप एकेडमी में एक्टिंग का सर्टिफिकेट कोर्स किया और फिर कुछ शॉट्स के लिए कैमरे के सामने आने लगी। कोर्स के तहत पापा ने मुजे गुजराती फिल्म उद्योग के अभिनेताओं से मिलने का मौका दिलाया और उनसे मार्गदर्शन भी मिला। फिर, जब मुझमें आत्मविश्वास आया, तो मैं संगीत वीडियो में पूरी तरह से शामिल हो गई।
आपके सिंगिंग करियर का अब तक का सबसे अच्छा अनुभव क्या रहा है?
मुझे खासतौर पर मजा तब आया जब हम लोग ‘पापा मारा सुपरमैन’ गाने पर काम कर रहे थे क्योंकि मॉम, पापा और पर्व के साथ लोकेशन पर जाकर सीन शूट कर रहे थे, गाने में ऐसे सीन हैं जहां हमने साथ में एक्टिंग भी की थी। इसलिए शूटिंग में भी उतना ही मजा आया और रिकॉर्डिंग में भी मजा आया क्योंकि सिंगिंग में भी मेरे साथ पापा और पर्व थे। ऐसे में ‘ऐ वतन’ गाना भी मजेदार था क्योंकि इसमें हमने अपने देश और तिरंगे के प्रति अपने प्यार का इजहार किया था। तो उस गाने को बनाने के दौरान भी मजा आया।
आपके सभी गानों में से आपको कौन सा गाना सबसे चुनौतीपूर्ण लगा?
मुझे ठीक से याद है कि जब हम ‘है नमन’ गाने की शूटिंग कर रहे थे तो हमें लोगों के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी थी। हमने इसे भुज की पहाड़ी पर बने किले में शूट किया, पहाड़ी पर चढ़ना, लोकेशन ढूंढना, परफेक्ट सीन तैयार करना। उस गाने के दौरान पापा ने खास तौर पर कहा था कि आवाज में मासूमियत और मैच्योरिटी दोनों आनी चाहिए, एक्सप्रेशन में वही दिखना चाहिए. तो गाना रिकॉर्ड करने में भी दिक्कत होती थी और शूटिंग में भी दिक्कत होती थी।
आप अपने NGO में कैसे आगे बढ़े? आप गिव वॉच के ‘ब्रांड एंबेसडर’ कैसे बने?
गिव वाचा का एक प्रमुख प्रोजेक्ट है ‘गुंजे गीता’ जिसे पर्व फ्यूजन बैंड ने प्रस्तुत करता है। इस में गीता के बारवें अध्याय ‘भक्तियोग’ को संगीतमय रूप से गाया जाता है, गीता पहले से ही सीखी हुई थी इसलिए मैं इस की लिडिंग सिंगर बनी। मैं हमेशा अपने संगीत के माध्यम से गिव वाचा को अपना समर्पण देती रही हूं। मेरे समर्पण को देखते हुए, उन्होंने मुझे इस परियोजना का नेतृत्व करने के लिए कहा। इस प्रोजेक्ट के साथ हम ‘ग्लोबल क्लबफुट अवेयरनेस’ के लिए फंड भी जुटाते हैं। इस तरह मैं गिववाचा की ‘गिफ्ट ऑफ टाइम एंबेसडर’ बनी।
आप अपनी पढ़ाई और करियर दोनों को कैसे मैनेज करते हैं?
स्कूल टाइम में मैं पढ़ाई पर पूरा ध्यान देती हूं। मैं अपना होमवर्क और पढ़ाई समय पर पूरा करता हूँ। फिर मेरी क्लासीस, सिंगिंग और ओक्टिंग पर ध्यान देती हुं। इसके अलावा, हम वीकेंड पर शूट या रिकॉर्ड करते हैं। हमारे रविवार कभी भी होटल या रेस्तरां में नहीं जाते हैं बल्कि हम गिव वाचा के सेवा प्रोजेक्टस करते हैं। इस तरह सब कुछ प्लानिंग से मैनेज होता है।
आपने इतनी कम उम्र में इतना कुछ हासिल किया है तो आप अपनी उम्र के दूसरे बच्चों को क्या संदेश देना चाहेंगी?
मेरा मानना है कि जब तक हम बच्चे हैं तब तक हम आजाद हैं। स्कूल और प्राथमिक जिम्मेदारियों और शौक और खेल के अलावा हमारे पास कोई काम नहीं है। इसलिए हमारे पास अपने शौक, अपनी इच्छाओं आदि पर ध्यान देने का समय है। इसलिए आपको इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि आप बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं। उसके लिए स्कूल के समय के बाद भी समय निकालना चाहिए और कला या शौक पर ध्यान देना चाहिए।