भगवद गीता का महत्त्व
आज हम भगवत गीता के बारे में कुछ ऐसी रोचक बातें करेंगे जो शायद आपको नहीं पता होंगी। अगर आप भारत से हैं और सनातन धर्म से संबंध रखते हैं तो यह चीज आपके लिए बहुत ही Fundamental है, Indian Knowledge System यानी कि भारतीय ज्ञान प्रणाली में शास्त्रों को दो विभाग में बांटा गया है।
जिसे हम श्रुति शास्त्र और स्मृति शास्त्र कहते है। श्रुति जिसका अर्थ है सुनना तो जो भगवान ने खुद ज्ञान दिया है या फिर उनके अवतारों ने ज्ञान दिया है या फिर ऋषियों ने ध्यान और समाधि की स्थिति में जिस ज्ञान को प्राप्त किया है, उसे हम श्रुति शास्त्र कहते हैं जोकि हमारा मूल स्तंभ है। तो श्रुति शास्त्र में हमारे चार वेद आते हैं, ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद। जो स्मृति शास्त्र है, स्मृति का मतलब है याद करना, तो गुरु शिष्य परंपरा से जो ज्ञान हम तक पहुंचा है उसे हम स्मृति कहते हैं और स्मृति श्रुति को ही समझाने का कार्य करती है। तो जो 18 पुराण है वह हमारे स्मृति शास्त्र है कल्प है, आगम है, इतिहास है, वह सभी हमारे स्मृति शास्त्र है। इतिहास हमारे यहां केवल दो है रामायण और महाभारत।
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चीजें यहां से रोचक होती हैं, श्रीमद्भगवद्गीता, जो की भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं अपने मुख से कही है इसलिए वह श्रुति शास्त्र है लेकिन क्यूंकि भगवद गीता महाभारत का एक भाग है जो की स्मृति शास्त्र है वो भगवद गीता को स्मृति शास्त्र भी बनाता है। तो भारतीय ज्ञान प्रणाली में केवल एक भगवत गीता ही है जो श्रुति शास्त्र भी है और स्मृति शास्त्र भी है। जो समस्त ज्ञान है वो वेदों में है और वेद चार भागों में विभाजित है जोकि है संहिता, ब्राह्मण, अरण्यक, और उपनिषद। वेदों का जो ज्ञान का भाग है वह है उपनिषद। अगर हम वेदों के ज्ञान को समझना चाहते है तो हमें उपनिषदों को पढना चाहिए। लेकिन उपनिषद कुल 108 है इन सभी उपनिषदों को पढ़ना संभव नहीं है, इसलिए मुख्य 10 उपनिषद है। इन 10 उपनिषदों के ज्ञान का सार भगवत गीता में दिया गया है। यह है भगवत गीता का महत्व। उपनिषदों का मुख्य ज्ञान जो है वह भगवत गीता में समाया हुआ है एक भगवत गीता का अभ्यास करके ही हम सभी उपनिषदों के ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं।